Meditation


प्रत्येक व्यक्ति में जन्म से ही कुछ वृत्तियाँ होती हैं जो उसके व्यवहार को निर्धारित करती हैं। ये वृत्तियाँ मनुष्य शरीर में पाए जाने वाले तीन प्रकार के गुण- सत्व, रजस एवं तमस से प्रभावित होती हैं। भगवद् गीता एवं योग सूत्र के अनुसार योग के नियमित अभ्यास से प्रत्येक गुण को बढ़ाया या कम किया जा सकता है। भगवान श्री कृष्ण, महाभारत में, अर्जुन से कहते हैं कि ध्यान करने से साधक में सत्व गुण का आविर्भाव होता है जिससे साधक को स्वस्थ शरीर, सर्वोत्तम ज्ञान एवं साक्षात्कार प्राप्त हो सकता है।

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